मूल इकाईयॉं
कंप्यूटर की मूल इकाइयों का मतलब कंप्यूटर की उन बातों से है जिनसे कंप्यूटर की गणनाओं का काम प्रारंभ होता है.
बिट
बिट अर्थात Binary digt, कम्प्यूटर की स्मृति की सबसे छोटी इकाई है । यह स्मृति में एक बायनरी अंक 0 अथवा 1 को संचित किया जाना प्रदर्शित करता है । यह बाइनरी डिजिट का छोटा रूप है. यहाँ एक सवाल उठता हैं की बिट ० और १ ही क्यू होता है ३-४ क्यू नहीं ? तो इसका जवाब दो तरह से आता हैं,
– चूकी गणितीय गणना के लिये विज्ञानियों को ऐसा अंक चाहीये था जो किसी भी तरह के गणना को आगे बढ़ाने या घटाने पर गणितीय उतर पर असर न डाले तो केवल ० एक मात्र एसी संख्या हैं जिसे किसी भी अंक के साथ जोड़ने या घटाने पर कोई फर्क नहीं पड़ता और १ एक मात्र ऐसी संख्या हैं जिसे किसी अंक के साथ गुणा या भाग देने पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
-दूसरी तरफ इलेक्ट्रॉनिकस में हम जानते हैं की ० और १ क्रमशः ऑन और ऑफ को दिखलाता हैं. कंप्यूटर भी इलेक्ट्रॉनि सिग्नल को ही पहचानता हैं इस कारण ० और १ का उपयोग किया जाता हैं.
बाइट
यह कम्प्यूटर की स्मृति (memory) की मानक इकाई है । कम्प्यूटर की स्मृति में की-बोर्ड से दबाया गया प्रत्येक अक्षर, अंक अथवा विशेष चिह्न ASCII Code में संचित होते हैं । प्रत्येक ASCII Code 8 byte का होता है । इस प्रकार किसी भी अक्षर को स्मृति में संचित करने के लिए 8 बिट मिलकर 1 बाइट बनती है ।
कैरेक्टर
संख्यांको के अलावा वह संकेत है जो भाषा और अर्थ बताने के काम आते है । उदाहरण के लिए हम देखे
a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z A B C D E F G H I J K L M N O P Q R S T U V W X Y Z 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 ! @ # $ % ^ & * ( ) _ – = + | \ ` , . / ; ‘ [ ] { } : ” < > ?
कम्प्यूटर सिस्टम सामान्यतः कैरेक्टर को संचित करने के लिए ASCII कोड का उपयोग करते हैं । प्रत्येक कैरेक्टर 8 बिटस का उपयोग करके संचित होता है ।
विभिन्न अंक प्रणाली
द्वि-अंकीय प्रणाली
यह कंप्यूटर की सबसे महत्वपूर्ण प्रणाली हैं जिसके द्वारा ही हम कंप्यूटर से बात करते है. इस प्रणाली के अन्तर्गत आंकड़ों को मुख्य रूप से केवल दो अंकों के संयोजन द्वारा दर्शाया जाता है । ये दो अंक उपरोक्त ‘0’ तथा ‘1’ होते हैं परन्तु इस प्रणाली को द्वि-अंकीय या द्वि-आधारी पद्धति का नाम इसलिये दिया गया है क्योंकि इसमें विभिन्न आंकड़ों के कूट संकेत उस दी गई संख्या को दो से लगातार
विभाजन के पश्चात प्राप्त परिणामों एवं शेषफल के आधार पर किया जाता है एवं इस कूट संकेत से पुनः दशमलव अंक प्राप्त करने पर इस कूट संकेत के अंकों को उसके स्थानीय मूल्य के बराबर 2 की घात निकालकर गुणा करते हैं एवं इनका योग फल निकाल कर ज्ञात किया जाता है । इस प्रणाली में बने हुए एक शब्द में प्रत्येक अक्षर को एक बिट कहा जाता है ।
011001 यह एक 6 बिट की संख्या है ।
11010010 यह एक 8 बिट की संख्या है ।
ऑक्टल (8 के आधार वाली) प्रणाली
इस प्रणाली में उपयोग किये जाने वाले विभिन्न अंकों का आधार 8 होता है इन्ही कारणों से इस प्रणाली को ओक्टल प्रणाली के नाम से जाना जाता है । दूसरे शब्दों में इस प्रणाली में केवल 8 चिन्ह या अंक ही उपयोग किये जाते हैं – 0,1,2,3,4,5,6,7 (इसमें दशमलव प्रणाली की भांति 8 एवं 9 के अंकों का प्रयोग नहीं किया जाता) यहाँ सबसे बड़ा अंक 7 होता है (जो कि आधार से एक कम है) एवं एक ऑक्टल संख्या में प्रत्येक स्थिति 8 के आधार पर एक घात को प्रदर्शित करती हैं । यह घात ऑक्टल संख्या की स्थिति के अनुसार होती है । चूँकि इस प्रणाली में कुल “0” से लेकर “7” तक की संख्याओं को अर्थात 8 अंकों को प्रदर्शित करना होता है ।कम्प्यूटर को प्रषित करते समय इस ऑक्टल प्रणाली के शब्दों को बाइनरी समतुल्य कूट संकेतों में परिवर्तित कर लिया जाता है । जिससे कि कम्प्यूटर को संगणना हेतु द्वि-अंकीय आंकड़े मिलते हैं एवं समंक निरूपण इस ऑक्टल प्रणाली में किया जाता है जिससे कि समंक निरुपण क्रिया सरल एवं छोटी हो जाती है ।
हैक्सा (16 के आधार वाली) दशमलव प्रणाली
चुकी सामान्य गिनती ० से ९ तक की ही होती है इस कारन उससे ऊपर की गणना के लिए हैक्सा दशमलव प्रणाली का उपयोग किया जाता है. हैक्सा दशमलव प्रणाली 16 के आधार वाली प्रणाली होती है . 16 आधार हमें यह बताता है कि इस प्रणाली के अन्तर्गत हम 16 विभिन्न अंक या अक्षर इस प्रणाली के अंतर्गत उपयोग कर सकते हैं । इन 16 अक्षरों में 10 अक्षर तो दशमलव प्रणाली के अंक 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 होते हैं एवं शेष 6 अंक A,B,C,D,E,F के द्वारा दर्शाये जाते हैं । जो कि दशमलव मूल्यों 10,11,12,13,14,15 को प्रदर्शित करते हैं । चूँकि हैक्सा दशमलव प्रणाली के अंतर्गत कुल 16 अंक प्रदर्शित करने होते हैं, इस प्रणाली के विभिन्न अक्षरों को द्वि-अंकीय प्रणाली के समतुल्य बनाने हेतु कुल 4 बिटों का प्रयोग किया जाता है ।
बाइनरी नंबर रूपान्तरण
बाइनरी नंबर रूपान्तरण
हम जानते है की कंप्यूटर की मूल इकाई बस दो होती है ० और १. विश्व स्तरीय गणना के लिये १००० को मानक माना जाता है. मतलब १००० ग्राम = १ किलोग्राम, १००० मीटर = १ किलोमीटर आदि.
कंप्यूटर गणना के लिये अगर दो के गुणक मे १००० के मानक मे देखा जाये अर्थात,
1 X 1 =1
2 X 2 =4
1 X 2 =2
4 X 2 =8
8 X 2 =16
16 X 2 =32
32 X 2 =64
64 X 2 =128
128 X 2 =256
256 X 2 =512
512 X 2 =1024
1024 X 2 =2048
१००० के सबसे नजदीक १०२४ ही आता है. ठीक उससे एक पहले ५१२ आता है जो १००० से बहुत कम है और ठीक एक बाद २०४८ आता है जो १००० से बहुत ज्यादा होती है. इस कारण कंप्यूटर मे १०२४ को ही मानक मान लिया गया हैं.
अब हम डिजिटल नंबर को बाइनरी नंबर मे बदलने की सबसे आसान तरीका देखेंगे.
सबसे पहले हम एक चार्ट इस तरह से बनाएँगे –
……… | 128 | 64 | 32 | 16 | 8 | 4 | 2 | 1 |
अब जिस डिजिटल नंबर को बाइनरी नंबर मे बदलना है उसको लेंगे. उदाहरण के लिये जैसे, 10 को बाइनरी नंबर मे बदलना है तो हम चार्ट मे देखेंगे की किन-किन नंबरों को जोड़ने से 10 होता हैं. तो 8+2=10 होगा. तो हम चार्ट मे 8 के नीचे वाले खाने मे 1, और 2 के नीचे वाले खाने मे 1 लिखेंगे और बचे हुए खाने मे ० लिख देंगे.
……… | 128 | 64 | 32 | 16 | 8 | 4 | 2 | 1 |
1 | 0 | 1 | 0 |
=1010
अर्ताथ 10 का बाइनरी नंबर 1010 हुआ.
दूसरा उदाहरण –
13 को बाइनरी नंबर मे बदलना है तो हम चार्ट मे देखेंगे की किन-किन नंबरों को जोड़ने से 13 होता हैं. तो 8+4+1=13 होगा. तो हम चार्ट मे 8 के नीचे वाले खाने मे 1, और 4 के नीचे वाले खाने मे 1 और 1 के नीचे वाले खाने मे 1 लिखेंगे और बचे हुए खाने मे ० लिख देंगे.
……… | 128 | 64 | 32 | 16 | 8 | 4 | 2 | 1 |
1 | 1 | 0 | 1 |
=1101
अर्ताथ 13 का बाइनरी नंबर 1101 हुआ.
ठीक इसी तरह अगर पहले से बाइनरी नंबर दिया हुआ हो तो उससे इस चार्ट में दाएँ से बाये लिख कर हम डिजिटल नंबर में बदल सकते हैं.
उदाहरण –
……… | 128 | 64 | 32 | 16 | 8 | 4 | 2 | 1 |
1 | 0 | 0 | 1 |
नीचे के खाने मे जहाँ जहाँ १ है अगर उसके योग को देखा जाये तो डिजिटल नंबर आ जाता हैं. ऊपर से चार्ट मे 8 और 1 के नीचे 1 हैं अतः 8+1 करने पर 9 आयेगा.
1001 डिजिटल नंबर 9 होता है.