वर्ल्ड वाइड वेब या विश्व व्यापी वेब (जिसे सामान्यत: वेब कहा जाता है) आपस में परस्पर जुड़े हाइपरटेक्स्ट दस्तावेजों को इन्टरनेट द्वारा प्राप्त करने की प्रणाली है। एक वेब ब्राउजर की सहायता से हम उन वेब पन्नों को देख सकते हैं जिनमें टेक्स्ट, इमेज , वीडियो, एंवं अन्य मल्टीमीडिया होते हैं तथा हाइपरलिंक की सहायता से उन पन्नों के बीच में आवागमन कर सकते है। विश्व व्यापी वेब को टिम बर्नर्स ली द्वारा 1989 में यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन जो की जेनेवा, स्वीट्ज़रलैंड में है, में काम करते वक्त बनाया गया था और 1992 में जारी किया गया था। उसके बाद से बरनर्स-ली नें वेब के स्तरों के विकास (जैसे की मार्कअप भाषाएँ जिनमें की वेब पन्ने लिखे जाते हैं) में एक सक्रीय भूमिका अदा की है और हाल के वर्षों में उन्होनें सीमेंटिक (अर्थ) वेब (Semantic Web) विकसित करने के अपने स्वप्न की वकालत की है।
वेब और इंटरनेट दोनों दो चीजे हैं परन्तु दोनों एक-दूसरे पर निर्भर हैं । वर्ल्ड वाइड वेब जानकारी युक्त पेजों का विशाल संग्रह है जो एक दूसरे से जुड़ा है । जिसे वेब पेज कहते हैं । वेब पेज सामान्तया HTML भाषा में लिखा होता है जो कंप्यूटर में प्रयुक्त एक भाषा है । वेब पेज को जो रोचक बनाता है वह है हाइपरलिंक, जिसे अक्सर लिंक कहा जाता है ।
हर लिंक किसी दूसरे पेज को इंगित करता है और जब हम इस पर क्लिक करते हैं तो हमारा ब्राउज़र लिंक से जुड़े पेज को उपलब्ध कराता है । अतः वर्ल्ड वाइड वेब एक विशाल सूचनाओं का डेटाबेस है तथा हर सूचना एक दूसरी सुचना से जुड़ा है ।
वेब कैसे काम करता है
विश्व व्यापी वेब पर एक वेब पन्ने को देखने की शुरुआत सामान्यत: वेब ब्राउजर में उसका यूआरएल (url) लिख कर अथवा उस पन्ने या संसाधन के हाइपरलिंक का पीछा करते हुए होती है। तब उस पन्ने को ढूंढ कर प्रर्दशित करने के लिए वेब ब्राउजर अंदर ही अंदर संचार संदेशों की एक श्रृंखला आरंभ करता है।
सबसे पहले यूआरएल के सर्वर-नाम वाले हिस्से को विश्व में वितरित इन्टरनेट डाटा-बेस, जिसे डोमेन नाम प्रणाली के नाम से जाना जाता है, की सहायता से आईपी पते में परिवर्तित कर दिया जाता है। वेब सर्वर से संपर्क साधने और डाटा पैकेट भेजने के लिए ये आईपी पता जरुरी है।
उसके बाद ब्राउजर वेब सर्वर के उस विशिष्ट पते पर हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल की प्रार्थना भेज कर रिसोर्स से अनुरोध करता है। एक आम वेब पन्ने की बात करें तो, वेब ब्राउजर सबसे पहले उस पन्ने के एच.टी.एम.एल. टेक्स्ट के लिए अनुरोध करता है और तुंरत ही उसका पदच्छेद कर देता है। उसके बाद वेब ब्राउजर पुनः अनुरोध करता है उन छवियों और संचिकाओं के लिए जो उस पन्ने के भाग हैं। एक वेबसाइट की लोकप्रियता सामान्यत: इस बात से मापी जाती है कि कितनी बार उसके पन्नों को देखा गया या कितनी बार उसके सर्वर को हिट किया गया या फिर कितनी बार उसकी संचिकाओं के लिए अनुरोध किया गया।
वेब सर्विस से आवश्यक संचिकाएँ प्राप्त करने के बाद ब्राउज़र उस पन्ने को स्क्रीन पर एच.टी.एम.एल., कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स एंवं अन्य वेब भाषाओँ के निर्देश के अनुसार प्रर्दशित करता है। जिस वेब पन्ने को हम स्क्रीन पर देखते हैं उसके निर्माण के लिए अन्य छवियों एंवं संसाधनों का भी इस्तेमाल होता है।
वेब पतों में WWW उपसर्गों का उपयोग
"www" अक्षर सामान्यत: वेब एड्रेस (Web address) की शुरुआत में पाए जाते हैं, ऐसा एक लम्बे समय से चले आ रहे व्यवहार की वजह से है जिसके अनुसार इन्टरनेट मेज़बान का नाम इस आधार पर रखा जाता है कि वो क्या सेवाएं प्रदान करता है। तो उदहारण के लिए, वेब सर्वर (Web server) के होस्ट नाम अक्सर "www" होता है। FTP सर्वर (FTP server) के लिए "ऍफ़टीपी"' और उसनेट न्यूज़ सर्वर (news server) के लिए "न्यूज़" अथवा "एनएनटीपी" (समाचार प्रोटोकॉल एनएनटीपी (NNTP) के कारण)। ये होस्ट नाम डीएनएस उपनाम (subdomain) की तरह प्रकट होते हैं, जैसे की "www.EXAMPLE.कॉम"
इन उपसर्गों का प्रयोग किन्हीं तकनीकी कारणों की वजह से नहीं है; वास्तव में पहला वेब सर्वर "nxoc01.cern.ch" पर था, और यहाँ तक आज भी कई साइट्स बिना "www" उपसर्ग के मौजूद हैं। मुख्य वेब साईट किस तरह दिखाई देगी इसमें "www" उपसर्ग का कोई महत्त्व नहीं है।"www" उपसर्ग किसी वेब साईट के होस्ट नाम का बस एक विकल्प मात्र है।
यदि लिखे गए URL में कोई मेज़बान दिखाई नहीं देता है तो कुछ वेब ब्राउसर "www" को स्वतः ही शुरू में जोड़ने की कोशिश करेंगे और संभवतः ".com" को अंत में.इंटरनेट एक्सप्लोरर, फ़ायरफ़ॉक्स, सफ़ारी और ओपेरा यह भी "उपसर्ग जाएगाhttp://www."और जोड़ना"। पता पट्टी सामग्री "के लिए com अगर नियंत्रण और चाबी एक साथ दबा रहे हैं दर्ज करें.मिसाल के तौर पर, पता लिखने की जगह पर यदि "EXAMPLE" लिख कर या तो केवल एंटर और या तो कंट्रोल+एंटर दबाने पर आमतौर पर "http://www.example.com" लिखा आयेगा, लेकिन ये निर्भर करेगा ब्राउज़र की सेटिंग्स और उसके संस्करण पर।