सन १९९१ में टिम बर्नर ली ने कई तकनीकों के संयुक्त प्रयोग से मिलाकर वेब ब्राउजर की नींव रखी थी। इस वेब ब्राउजर का नाम वर्ल्ड वाइड वेब रखा गया था, जिसे लघुनाम में डब्ल्यु.डब्ल्यु.डब्ल्यु भी कहते हैं। पृष्ठको यूआरएल (यूनीफॉर्म रिसोर्स लोकेटर) के रूप में लोकेट किया जाता है और यही यू.आर.एल वेब पते के तौर पर जाना जाता है। इस वेब पते का आरंभ अंग्रेज़ी के अक्षर-समूह एच टी टी पी से होता है। कई ब्राउजर एचटीटीपी के अलावा दूसरे यूआरएल टाइप और उनके प्रोटोकॉल जैसे गोफर, एफटीपी आदि को सपोर्ट करते हैं।
वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राऊजर एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है । यह बहुत ही महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । ब्राऊजर वर्ड वाइड वेब पर साइट देखने का एक सामान्य साधन है । इन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग
इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपने पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं । यह अनेक कार्यों को जैसे की ई-मेल, खबरें, इंटरनेट से बात करना, वार्तालाप, मल्टीमीडिया आदि को नियंत्रित करता है ।
इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपने पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं । यह अनेक कार्यों को जैसे की ई-मेल, खबरें, इंटरनेट से बात करना, वार्तालाप, मल्टीमीडिया आदि को नियंत्रित करता है ।
ब्राऊजर भी एक वेब ग्राहक माना जाता है क्योंकि क्लाइन्ट मॉडल में यह क्लाइन्ट प्रोग्राम की तरह कार्य करता है । ब्राउजर वेब सर्वर से सम्पर्क बनाता है और सूचनाओं के लिए निवेदन करता है ।
वेब ब्राऊजर का उपयोग कर किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता टाइप कर जा सकते हैं, इस पता को यूआरएल कहते हैं ।
वेब ब्राउज़र , विश्वव्यापी वेब या स्थानीय सर्वर पर उपलब्ध लेख, छवियों, चल-छित्रों, संगीत और अन्य जानकारियों इत्यादि को देखने तथा अन्य इन्टरनेट सुविधाओं के प्रयोग करने मैं प्रयुक्त होता है। वेब पृष्ठ एच.टी.एम.एल. नामक कंप्यूटर भाषा मैं लिखे जाते है, तथा वेब ब्राउजर उन एच.टी.एम.एल. पृष्ठों को उपभोक्ता के कंप्यूटर पर दर्शाता है। व्यक्तिगत कंप्यूटरों पर प्रयोग होने वाले कुछ मुख्य वेब ब्राउजर हैं इन्टरनेट एक्स्प्लोरर, मोजिला फ़ायरफ़ॉक्स,सफारी, ऑपेरा, फ्लॉक और गूगल क्रोम, इत्यादि है जबकी वेब ब्राउजरो के स्मार्टफोन संस्करण एच.टी.एम.एल. पृष्ठों को उपभोक्ता के मोबाइल पर दर्शाने मे सहायता करते है
प्रत्येक कंप्यूटर एक प्रचालन तंत्र का समर्थन करता है, किसी के सिस्टम में विंडोज, तो किसी में लाइनक्स या यूनिक्स होता है। प्रत्येक व्यक्ति और कंपनी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रचालन तंत्र स्थापित करते हैं। प्रत्येक प्रचालन तंत्र की प्रोग्रामिंग अलग होती है और प्रकार्य भी अलग होते हैं। इंटरनेट के आरंभिक काल में प्रचालन तंत्र का अलग-अलग होना एक बड़ी समस्या थी। अलग प्रचालन तंत्र होने के कारण एक प्रचालन तंत्र को दूसरे से संचार के लिए समस्याएं आने लगीं। इस दौर में ऐसी भाषा की अत्यावश्यकता महसूस की जाने लगी, जो सभी प्रचालन तंत्रों के लिए समान हो। ऐसे में सूचना के आदान-प्रदान के लिए सर्वमान्य प्रोग्रामन भाषा एचटीएमएल (हाइपर टेक्सट मार्क अप लैंग्वेज) आई। इसकी प्रोग्रामिंग और प्रकार्य ऐसा बनाया गया, जो वेब ब्राउजर को समझ में आए। प्रत्येक वेबब्राउजर एचटीएमएल प्रोग्रामन भाषा को समझता है। आरंभ के दिनों के कई ब्राउजर सिर्फ एचटीएमल का समर्थन सपोर्ट करते थे, लेकिन वर्तमान में ब्राउजर एचटीएमएल जैसी दूसरी प्रोग्रामन भाषाओं जैसे कि एक्सएचटीएमएल, आदि को भी को सपोर्ट करने लगे।
कुछ प्रमुख वेब ब्राऊजर निम्नलिखित है -
- नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)
- माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर (Microsoft Internet Explorer)
- मौजिला फायरफॉक्स (Mosilla Firefox)
- NCSA मॉजैक (NCSA Mosaic)
- ओपेरा (Opera)
- सफारी (Safari)
- क्रोम (Chrome)